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लेखनी प्रतियोगिता -31-Mar-2023 शोभायात्रा और पुष्प वर्षा

इस बार भी रामनवमी आई । हर बार आती है रामनवमी । इस बार कोई खास तो नहीं थी । हर बार की तरह इस बार भी "शांतिदूतों" ने जमकर "पुष्प" बरसाये । महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक । गजब पुष्प वर्षा हुई । प्रभु श्रीराम प्रसन्न हो गए । इतनी अधिक पुष्प वर्षा से कौन प्रसन्न नहीं होगा ? प्रभु को तो प्रसन्न होना ही था । फिर शांति प्रिय समुदाय के "निश्चल" प्रेम को देखकर भगवान धन्य धन्य हो गये । शांति प्रिय समुदाय केवल पुष्प वर्षा ही नहीं करता आगजनी और तोड़फोड़ भी करता है । तोड़फोड़ करना उसका नैसर्गिक कृत्य है और आगजनी उसका धर्म । रामायण काल से लेकर आज तक भगवान के " शांति प्रिय भक्त" ऐसा करते ही आए हैं । उनकी भक्ति का तरीका ऐसा ही है । हिंसा भी एक तरह की भक्ति ही है इस समुदाय की । भगवान को ये हिंसा वाली भक्ति बहुत पसंद है इसलिए ये शांति दूत बढ़ चढ़ कर अपनी भक्ति का प्रदर्शन करते रहते हैं । 
बंगाल वाली "देवी" भी कुछ कम नहीं है । उसे "श्रीराम" शब्द से ही इतना प्रेम है कि जो कोई "श्रीराम" बोलता है, उसे वह तुरंत गिरफ्तार करवा देती है । ऐसी "भक्तन" पहले कभी न देखी न सुनी , इसलिए इस भक्तन की "पूजा" देखकर मन प्रसन्न हो जाता है । भगवान राम की ऐसी "स्तुति" करती है कि अच्छे अच्छे "संत" ईर्ष्या में जलकर भस्म हो जाते हैं । इस देवी ने प्रभु श्रीराम की जयंती मनाने वालों को खुलेआम चेतावनी दे डाली कि अगर ग़लती से भी एक भी शब्द शांति प्रिय समुदाय के लिए बोल दिया तो वह उनकी खाल खींच लेगी । मगर उसने ऐसा नहीं कहा कि अगर शांति प्रिय समुदाय प्रभु श्रीराम के जुलूस पर "पत्थर" वर्षा करें, तोड़फोड़ करें, आगजनी करें तो उनके विरुद्ध भी कार्यवाही की जायेगी। देखा, कितनी महामना देवी है यह भक्तन । शांति प्रिय समुदाय को इस देवी ने अभय दान दें रखा है । 

सुना है कि हावड़ा में प्रभु की शोभायात्रा पर पथराव किया गया था और इस बंगाली देवी ने तुरंत ही बिना कोई जांच कराये सार्वजनिक रूप से रामभक्तों को कठघरे में खडा कर दिया और अंजाम भुगतने की धमकी दे डाली । इसके बाद शांति प्रिय समुदाय खुलकर "पुष्प वर्षा" करने लग गया है । एक राजा के क्या कर्तव्य होते हैं यह इस बंगाली देवी से सीखना चाहिए और बाकी राजा जैसे नटवरलाल, कुशासन बाबू आदि को ऐसा ही राज्य करना चाहिए । वैसे लोग कहते हैं कि वे भी इस देवी के पदचिन्हों पर चल रहे हैं । ऐसे और भी राज्य हैं जैसे तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना आदि आदि भी इसी प्रकार का सुशासन दे रहे हैं । उत्तर प्रदेश बेचारा ऐसे सुशासन से दूर हो गया । पहले यहां भी ऐसा ही सुशासन था मगर पिछले छ : वर्षों से तपस्वी ने यहां आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है । 

जो ये पुष्प वर्षा कर रहे हैं , ये त्रेता युग में भी ऐसा ही करते थे तब भगवान राम ने इनकी भक्ति से प्रसन्न होकर इन्हें "मुक्ति" प्रदान कर दी थी । क्या आज के जमाने में यह संभव है ? आजकल तो न्याय व्यवस्था भी ऐसी है कि 44 सालों बाद किसी दुर्दांत अपराधी को केवल एक प्रकरण में सजा हो पाई है और वह भी तपस्वी के आने के कारण । अन्यथा वह हिस्ट्रीशीटर तो सरकारों का दामाद बना हुआ था और अब वे ही लाल टोपी वाले अब उसका बचाव कर रहे हैं । यहां तक कि मीडिया भी ऐसे हिस्ट्रीशीटर को बचाने का पूरा पूरा प्रयास कर रहा है । मीडिया को देखकर गाड़ी ने भी पलटने से इंकार कर दिया । मीडिया अपनी विजय पर मंत्रमुग्ध है । आखिर उसने उस हिस्ट्रीशीटर को बचाने की सुपारी जो ले रखी थी इसलिए उसने अपना "कर्तव्य" निभाया । 

ये कलयुग का ही प्रभाव है जहां राम भक्तों को गिरफ्तार किया जाता है और आगजनी करने वालों को उपकृत । भगवान श्रीराम भी मंद मंद मुस्कुरा रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसे लोगों को चुनोगे तो ऐसा ही होगा । अब जनता की मरजी है कि वह क्या चुनती है । तपस्वी जैसा शासक या बंगाली देवी ? 

श्री हरि 
31.3.23 

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2 Comments

Ajay Tiwari

01-Apr-2023 08:25 AM

👌👌👌

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Abhinav ji

01-Apr-2023 07:52 AM

Nice

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